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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

सोमवार, 20 अप्रैल 2009

भरोसा पिता के काम का -पार्टी के नाम का

आपका अपना क्या है ? लोग पिता को पूछते तो है नहीं हाँ उनके नाम का सौदा करने से अवश्य नहीं चूकते ।

पिता ने ही लगादी रुबीना की बोली

यह तो होना ही था ,-अनाधिकारी को असमय ,अनायास प्रसिद्धि ,पैसा एवं आसमानी चाहूं की सीढीमिलती है तो यही होता है। स्लम -को करोड़पति का सपना यही है होना ।ये अनावश्यक कर्म समाज को यही रास्ते दिखलाते हैं।

राम राज्य और नफरत --एवं सोनिया गाँधी

सोनिया जी का कथन है किराम राज्य तो ऐसी शाशन प्रणाली है कि उसमें नफ़रत की कोई जगह नहीं है। क्या सोनिया जी राम , राज्य एवं नफरत का अर्थ सही मायने मैं समझतींहैं । नफरत - भी ईश्वर -कर्ता की एक कृति है -अवश्यम्भावी , परन्तु प्रत्येक भाव- वस्तुका समय व स्थिति अनुसार आचरण होना चाहिए । क्या उन्हें महात्मा गांधी याद नहीं जो कहते थे --घृणा बुराई से करो बुरे से नहीं । अर्थात -यथातथ्य । यदि राम रावणत्वसे घृणा /नफरत नहीं करते तो रावण के नाश को कृत संकल्प कैसे होते। ---यह है राम राज्य का अर्थ --यथा योग्य सम्मान ,न्याय व सुरक्षा । कृष्ण का कहना है- मैं दुष्टों के लिए कठोर व संतों के लिए साधुभावः हूँ।
नफरत करो तो , दुष्टता ,बुराई ,अन्याय ,अनाचार ,व्यसन व अपने दुर्गुणों से नफरत करो ।

बच्चों व गरीवों का क्या है वे तो सभी से मिलकर खुश हो जाते हैं ,उन्हें क्या पता कौन सोनिया कौन अडवानी ।