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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

शुक्रवार, 7 मई 2010

सामाज़िक सरोकार,--रिश्ते , तोड़ना-बनाना ....


---अब देखिये एक सुन्दर, आवश्यक, सामयिक, सामाज़िक विषय पर लिखी गई यह पुस्तक भी है तो क्या "कम बिफ़ोर ईवनिन्ग फ़ाल्स"---क्या खाप , पन्चायत, हरियाणा की व देश की सामान्य जनता के लिये लिखी गई ( यदि यही मंशा है तो) यह पुस्तक -अन्ग्रेज़ी मै है( पता नहीं चला रहा समाचार से ) क्यों ? हिन्दी में है तो शीर्षक अंग्रेज़ी में क्यों ? होगया सारा किया कराया 'गुड-गोबर' लेखिका का कथन भीस्वयम भ्रामक है- -" यह हमारा भ्रम है किहम रिश्ते बनाते और तोडते हैं, सच तो यह है कि रिश्ते हमें तोडते और बनाते हैं॥" --- महोदया--- क्या रिश्ते आपको तोडने -बनाने के लिये स्वयम बनजाते हैं? पहले कुछ रिश्ते आप ही बनाते हैं, अन्य स्वयम बनजाते हैं, जन्म के रिश्ते स्वयम बनते हैं जो मनुश्य को तोडते नहीं, जोडते हैं। हां, मनुष्य द्वारा अवैधानिक, लालच वश, भ्रम वश, स्वार्थ वश बनाये गये-तोडे गये रिश्ते, उसे अवश्य ही तोडते हैं ।---क्या-क्या कहादेते है झोंक में या....

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