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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

सोमवार, 6 सितंबर 2010

सचिन और भारत रत्न...???????????????????

आजकल एक वर्ग काफ़ी चिल्ला रहा है कि सचिन को भारत रत्न दो। आखिर सचिन ने एसा कौन सा देशभक्ति का कार्य किया है। पैसे लेकर खेलना तो व्यवसाय है। फ़िर तो प्रत्येक देशवासी को भारत रत्न मिलना चाहिये, सभी आर्थिक वृत्ति पर अपने अपने कार्य करते हैं , अपितु अन्य लोग तो कुछ गुणात्मक कार्य करते हैं , क्रिकेट-खेलने जैसा अनावश्यक, देश का समय, धन व जन बल का हानिकारक कार्य से तो अच्छा कार्य ही करते हैं |इस प्रकार तो प्रत्येक सैनिक को अवश्य ही भारत रत्न मिलना चाहिए | इससे अच्छा तो हमारेफ़िल्मी हीरो/एक्टर / डाइरेक्टरों को यह पुरस्कार मिलना चाहिए कम से कम वे देश भक्ति का प्रचार-प्रसार तो करते हैं |
न जाने लोग क्या सोच कर एसे अनर्गल मांगें उठाते हैं| प्राचीन राजा लोग भी अपने अपने राज्य में-नट, विदूषक, कवि, विद्वानों आदि को पुरस्कार दिया करते थे। इसी भांति अपने-अपने फ़ील्ड में खेल पुरस्कार आदि तो सरकार देती ही है। भारत रत्न देने का कोई अर्थ नहीं है।

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