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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

गुरुवार, 7 अप्रैल 2011

भ्रष्टाचार व अन्ना हज़ारे का अनशन.....

                                  ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...       
          ६१ वर्ष में न जाने कितनी सरकारें आईं व गईं ...परन्तु भ्रष्टाचार बढ्ता ही गया व बढ्ता जारहा है...अतः भ्रष्टाचार कोई राजनैतिक मामला नहीं है, अपितु मानवीय आचरण का मामला है। जिस प्रकार से  कान्ग्रेस व मनमोहन सिन्ह सरकार पर आक्षेप लगाये जारहे हैं ( क्योंकि संयोग से इस सरकार के विरुद्ध ही तमाम मामले उजागर हुए हैं एवं  अधिकान्श समय कान्ग्रेस सरकार ही सत्ता में रही है, इससे क्या अन्य सरकारें क्या कर रहीं थीं ), एवं लोकपाल को सर्व-समर्थ बनाने की बात की जारही है, इससे लगता है कि इसे एक राजनैतिक मामला माना जा रहा है । क्या गारन्टी है कि लोकपाल स्वयं भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं हो जायगा । क्या आज कोई एसा व्यक्ति है सरकार, शासन, प्रशासन,जनता कहीं भी जिसे माना जाय कि वह भ्रष्ट नहीं हो जायगा।....साफ़-सुथरे पूर्व राष्ट्रपति कलाम/ प्रधान मन्त्री अटल बिहारी बाजपेयी-- क्यों नहीं इस मसले पर आगे आये ? 
         यद्यपि पहल को अच्छा ही कहा जायगा, कहीं से  तो  पहल हो । हां जब तक राजनैतिक इच्छाशक्ति के साथ ,आमूल चूल रूप में  मानवीय आचरण सुधारने के , सांस्कृतिक सुधार के, स्वयं जन जन स्वयं को सुधारने के  उपाय नहीं किये जाते ..भ्रष्टाचार समाप्त नहीं हो सकता |  

2 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

तर्क कुतर्क विवाद वितण्डा,
इन सबमें रोया है झण्डा।

shyam gupta ने कहा…

क्या बात है पान्डे जी...झन्डा के माध्यम से देश की दशा का चित्रण....सुन्दर..