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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

शुक्रवार, 8 जुलाई 2011

कृष्ण लीला --१०--पूतना .......

                                                                  ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ....                                                
 कुटिल आसुरी दुष्ट-भाव मय नारी प्रतिकृति  ।
बनी पूतना रूप,   घूमती  ग्राम  नगर  नित ।
लीलाधर  की लीला,  जो  पहुंची कान्हा  घर ।
लिये  रूपसी भाव,  वेष  वह ममता का  धर ।
आंचल रूपी द्वेष-द्वन्द्व का भाव वह जटिल ।
चूस लिया  कान्हा ने,  सारा भाव  वह कुटिल  ॥

10 टिप्‍पणियां:

आशुतोष की कलम ने कहा…

अच्छा लगा..पहली पंक्ति में प्रतिक्रति का आर्थ समझ नहीं पा रहा था ..थोडा धयन से बार बार पढ़ा तो समझ में आया..
सुन्दर वर्णन

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुत ही सुन्दर शब्द-संरचना।

shyam gupta ने कहा…

धन्यवाद पांडे जी व आशुतोष....

shyam gupta ने कहा…

यह प्रतिकृति होना चाहिए था....

Rakesh Kumar ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है आपकी.
पूतना का भाव 'कुटिलता' के रूप में
दर्शित करना अच्छा लगा.

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

सुंदर छंद।

virendra sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना !अपने प्रदेश की पूतना से उस मंद बुद्धि बालक को बचाना जो पद -यात्रा पर है .पूतना भाव लिए कई उर्वशियाँ राजनीति में भी हैं .

shyam gupta ने कहा…

धन्यवाद देवेन्द्र जी . राकेश जी व वीरू भाए ---आप उस बालक को मंद बुद्धि क्यों कहना चाह रहे हैं.....

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

सुन्दर शब्द संयोजन,सुन्दर भाव,सुन्दर छंद....

shyam gupta ने कहा…

धन्यवाद झंझट जी.....