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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

मंगलवार, 18 दिसंबर 2012

मोमबत्ती जलाने से क्या होगा ...डा श्याम गुप्त ...

                                  ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...





          

                  मोमबत्ती जलाने से क्या होगा ...

             हर जगह मोमबत्ती लेकर पहुँच जाते हैं ..गोया कि प्रकाश करके जता रहे हैं संसार को, अपने आप को कि हमको  वहुत दुःख है  बाकी सब भी दुखी हों .... .पर यह क्यों होता है, क्या करें हमें पता ही नहीं है कोई तो हमारे साथ मोमबत्ती जलाए, हमें बताये कि हम क्या करें .......

        ६१ बार होचुका अब तक, हम हर बार मोमबत्ती जलाते हैं पर कुछ कर नहीं पाते हैं .... हाँ बच्चों को सांत्वना का नाटक करना अवश्य सिखाते हैं ... फिर फिर वही बच्चे गोलीबारी करके हमारा दिल दुखाते हैं |

        कुछ संस्कृति, सभ्यता, आचरण, अनुशासन, सात्विक ज्ञान की बातें स्वयं सीखें ..बच्चों को भी सिखायें ..... ज्ञान का प्रकाश करें ...मोमबत्तियां जलाने से क्या होगा ..??? 
 

2 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

जोत ज्ञान की जलायें हम, वही योग है।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

ज्योति से ज्योति जलाते चलो
प्रेम की गंगा बहाते चलो,,,,,

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