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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

शुक्रवार, 25 सितंबर 2015

उदयपुर..नाथद्वारा ...कोटा यात्रा ...भाग १--नाथद्वारा .....ड़ा श्याम गुप्त

                                 ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...

                    राजस्थान में कोटा में मेरे मित्र श्रीकांत त्रिपाठी काफी समय से कोटा आने को आमंत्रित किये हुए थे |  अतः  नाथद्वारा साहित्य मंडल, राजस्थान  द्वारा हिंदी दिवस  १४ -९-१५ पर  मुझे 'हिन्दी साहित्य विभूषण की उपाधि' हेतु आमंत्रण किये जाने  पर  मैने इस अवसरको न गवाने का फैसला किया एवं सपत्नी उदयपुर व कोटा भ्रमण का  प्रोग्राम बनालिया |



नाथद्वारा- श्रीनाथ जी की प्रतिकृति

नाथद्वारा ---१४/१५/१६ -९-१५ .
          उदयपुर से 47 किलोमीटर उत्तरमें है| यहां श्रीनाथजी का मंदिर है। अतः इसे श्रीनाथद्वारा भी कहा जाता है| यह मंदिर पुष्टिमार्ग संप्रदाय के अनुयायियों का सबसे पवित्र स्थान है। श्रीनाथजी भगवान कृष्ण के ही रुप हैं। इस संप्रदाय की स्थाापना 16वीं शताब्दी में वल्लभाचार्य ने की थी। इस मंदिर में भगवान विष्णु की एक मूर्त्ति है। यह मूर्त्ति काले पत्थर की बनी हुई है। इस मूर्त्ति को औरंगजेब के कहर से सुरक्षित रखने के लिए 1669 ई. में मथुरा से लाया गया था। यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए दिन में सात बार खोला जाता  है, लेकिन हर बार सिर्फ आधे घण्टे के लिए। यह स्थान पिच्चमवाई पेंटिग्स के लिए भी प्रसिद्ध है। उदयपुर से यहां के लिए बसें चलती हैं।
सहित्य मंडल के प्रधान मंत्री श्री श्याम जी देवपुरा एवं श्री विट्ठल पारीक सञ्चालन करते हुए
         नाथद्वारा साहित्य मंडल के प्रधानमंत्री श्री श्याम जी देवपुरा द्वारा हिन्दी लाओ-देश बचाओ --कार्यक्रम के अंतर्गत ३ दिन का एक वृहद् साहित्यिक आयोजन किया गया | १५-९-१५ को राजस्थान ब्रजभाषा मंडल द्वारा ब्रजभाषा साहित्य पर परिचर्चा एवं काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया |
हिन्दी लाओ-देश्बचाओ अभियान

नाथद्वारा नगर में हिन्दी रैली

पुस्तक मेला


हिन्दी साहित्य विभूषण की उपाधि से सम्मानित साहित्यकार

ड़ा श्याम गुप्त-हिन्दी भाषा, साहित्य व अगीत पर वक्तव्य 

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